गोवा के श्रीदत्त पद्मनाभ तपोभूमि गुरुपीठ में हाल ही में आयोजित ‘हिन्दू नारी का हुंकार’ कार्यक्रम ने महिला सशक्तिकरण के नए आयाम को छुआ। इस ऐतिहासिक आयोजन में गुरु ब्रह्मेशानंदाचार्य स्वामी जी के नेतृत्व में महिलाओं ने अपने अधिकारों और कर्तव्यों का संकल्प लिया, साथ ही समाज में अपनी भूमिका को और भी मजबूत बनाने की ठानी।

कार्यक्रम में देशभर से आई महिलाओं ने न केवल अपनी आवाज़ बुलंद की, बल्कि धर्म, संस्कृति और समाज की रक्षा का संकल्प भी लिया। हर जगह महिला शक्ति की ऊर्जा और जोश देखने को मिला, जो समाज में महिलाओं की अहमियत को और भी स्पष्ट करता है।

गुरु ब्रह्मेशानंदाचार्य का प्रेरणादायक संदेश

गुरु ब्रह्मेशानंदाचार्य स्वामी जी ने अपने प्रेरणादायक प्रवचनों में महिलाओं के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “नारी केवल शक्ति का प्रतीक नहीं, बल्कि समाज की नींव है। हिंदू संस्कृति में नारी को देवी का दर्जा दिया गया है और यही शक्ति समाज और संस्कृति को आगे बढ़ाती है।” उनके शब्दों ने सभी महिलाओं को एक नई दिशा दी और उनके आत्मविश्वास को और भी पंख लगा दिए।

महिलाओं ने उठाया सशक्तिकरण का संकल्प

कार्यक्रम के दौरान महिलाओं ने यह संकल्प लिया कि वे अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा के साथ-साथ समाज को एक नई दिशा देने का काम करेंगी। उन्होंने यह भी बताया कि आने वाली पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक धरोहर और संस्कार से जोड़ने में उनका योगदान महत्वपूर्ण होगा।

‘हिन्दू नारी का हुंकार’ की खासियत

यह आयोजन केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण और समाज में बदलाव लाने का प्रतीक बन गया। जहां आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, वहीं इस आयोजन ने उनके धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक योगदान को भी उजागर किया।

आने वाले समय के लिए प्रेरणा

‘हिन्दू नारी का हुंकार’ ने यह साबित कर दिया कि जब महिलाएं एकजुट होकर समाज के उत्थान की दिशा में कदम उठाती हैं, तो कोई भी मुश्किल उनसे टकरा नहीं सकती। इस आयोजन ने महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया और समाज को दिखा दिया कि नारी की शक्ति से कोई भी चुनौती पार पाई जा सकती है।

गोवा के श्रीदत्त पद्मनाभ तपोभूमि गुरुपीठ ने इस ऐतिहासिक आयोजन को अपनी धरती पर देखा, और ‘हिन्दू नारी का हुंकार’ ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक नया इतिहास रच दिया।